हरिप्रिया............
Sunday, July 21, 2019
Thursday, March 14, 2013
राधा ....मीरा .....
राधा .....
आँखें है दो ....
जो देखती है ....
पर कहती नही ..
कहती हैं ...जब
बस, बहती हैं ....
कान्हा से मिलने को
............
मीरा
मन है ....
भटकता है ....
तडपता है .....
रहते हुए
संसार में ....
सहता है
मन के मौसम ....
एक मूर्त
मनचाही से
मिलने को ........
............
राधा होने के लिए
जरूरी है
पहले मीरा बनना ......
और फिर .........
बस हो जाना .....
राधे -राधे ..
राधे -राधे ...
राधे -राधे ....
राधे -राधे ....
(मन है किसी से भी जुड़ सकता है ...नहीं जानते हम स्वयं भी ....कोई कहाँ तक उतर सकता है ....)
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Monday, December 26, 2011
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